राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution : NDC), उत्सर्जन में कटौती और जलवायु परिवर्तन प्रभावों के अनुकूल होने के लिए एक जलवायु कार्य योजना है।
पेरिस समझौते (2015) के प्रत्येक पक्ष के लिए एक एनडीसी स्थापित करना और प्रति पांच वर्ष में इसे अद्यतन करना आवश्यक है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
3 अगस्त, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमण्डल ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यूएनएफसीसीसी) को सूचना दिए जाने के लिए भारत के राष्ट्रीय स्तर पर अद्यतन निर्धारित योगदान (NDC) को मंजूरी दे दी है।
पृष्ठभूमि
इससे पहले, भारत ने 2 अक्टूबर, 2015 को यूएनएफसीसीसी को अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत किया था।
वर्ष 2015 में NDC में आठ लक्ष्य शामिल थे; इनमें से तीन, वर्ष 2030 तक के लिए संख्या आधारित लक्ष्य हैं; जैसे-
गैर-जीवाश्म स्रोतों से विद्युत उत्पादन की संचयी स्थापित क्षमता को बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक पहुंचाना;
वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना;
अतिरिक्त वन व वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइआॅक्साइड के अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना।
अद्यतन एनडीसी लक्ष्य
राष्ट्रीय स्तर पर अद्यतन निर्धारित योगदान वर्ष 2021-2030 की अवधि के लिए भारत के स्वच्छ ऊर्जा की ओर परिवर्तन की रूपरेखा का भी प्रतिनिधित्व करता है।
भारत अब वर्ष 2030 तक वर्ष 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना ;
वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति की स्थापित क्षमता प्राप्त करना।
CoP-26 में भारत कि प्रतिबद्धता
यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (United Nations Framework Convention on Climate Change : UNFCCC) के पार्टियों के सम्मेलन (CoP-26) के 26वें सत्र में भारत ने दुनिया के समक्ष पांच अमृततत्व (पंचामृत) पेश किए तथा जलवायु कार्रवाई को तेज करने का आग्रह किया।
भारत के मौजूदा एनडीसी का यह अद्यतन स्वरूप, CoP-26 में घोषित 'पंचामृत' को उन्नत जलवायु लक्ष्यों में परिवर्तित कर देता है।
इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि जलवायु परिवर्तन में जीवनशैली की बड़ी भूमिका है, भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने CoP-26 में वैश्विक समुदाय के समक्ष एक ‘एक शब्द वाले आंदोलन’ का प्रस्ताव रखा।
वो एक शब्द है ‘लाइफ---- एल, आई, एफ, ई’ यानी पर्यावरण के लिए जीवनशैली।
लाइफ का दृष्टिकोण एक ऐसी जीवनशैली अपनाना है, जो हमारे धरती के अनुरूप हो और इसे नुकसान न पहुंचाए।
भारत का अद्यतन एनडीसी जलवायु परिवर्तन से निपटने के इस नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।
महत्व
अद्यतन एनडीसी, पेरिस समझौते के तहत आपसी सहमति के अनुरूप जलवायु परिवर्तन के खतरों का मुकाबला करने के लिए वैश्विक कार्रवाई को मजबूत करने की दिशा में भारत के योगदान में वृद्धि करने का प्रयास करता है।
इस तरह के प्रयास, भारत की उत्सर्जन वृद्धि को कम करने के रास्ते पर आगे बढ़ने में भी मदद करेंगे।
यह अद्यतन स्वरूप, भारत के वर्ष 2070 तक नेट-जीरो के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा ।
एनडीसी लक्ष्य प्राप्ति हेतु भारत के प्रयास
नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।
इलेक्ट्रिक वाहनों और सुपर-कुशल उपकरणों का निर्माण व हरित हाइड्रोजन जैसी नवीन तकनीकों आदि जैसी ग्रीन जॉब्स में समग्र वृद्धि होगी।
अकेले भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य से उत्सर्जन में वार्षिक 60 मिलियन टन की कमी आएगी।
इसी तरह, भारत का विशाल एलईडी बल्ब अभियान वार्षिक 40 मिलियन टन उत्सर्जन को कम कर रहा है।