मार्च, 2021 में बिहार सरकार द्वारा इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति, 2021 को मंजूरी दी गई थी।
इस प्रकार बिहार इथेनॉल प्रोत्साहन नीति लाने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया था।
यह नीति इथेनाॅल उत्पादन की गन्ने तक ही सीमित निष्कर्षण को मक्का, शीरा और टूटे चावल के उपयोग तक विस्तारित करती है।
ध्यातव्य है, कि बिहार इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति, 2021 के तहत, पहले चरण में 17 इथेनॉल्ा इकाइयां स्थापित की जाएगी।
जिसमें से चार बनकर तैयार हो गईं।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
1 मई, 2022 को बिहार के पूर्णिया जिले में अनाज आधारित देश के पहले इथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया गया।
इस संयंत्र का निर्माण ईस्टर्न इण्डिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड (Eastern India Bio fuels Pvt Ltd.) द्वारा 105 करोड़ की लागत से की गई है।
प्रमुख बिंदु
बिहार सरकार की इथेनॉल उत्पादन और संवर्धन नीति, 2021 को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने के पश्चात स्थापित यह संयंत्र देश का पहला ग्रीनफील्ड (हरित-क्षेत्र) अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र है।
इस संयंत्र में प्रतिदिन 150 टन मक्का और चावल का उपयोग करके प्रतिदिन 65000 लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने की संभावना है।
निर्मित इथेनॉल की आपूर्ति तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल और डीजल में मिलाने के लिए की जाएगी।
इस संयंत्र में ‘शून्य तरल निर्वहन’ (Zero Liquid Discharge) तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो एक अपशिष्ट जल प्रबंधन रणनीति है।
यह तकनीक तरल अपशिष्ट को समाप्त करती है और जल उपयोग दक्षता को अधिकतम करती है।
संयंत्र से प्राप्त उपोत्पाद का इस्तेमाल जानवरों के चारे के रूप में किया जाएगा।
इथेनाॅल
इथेनॉल एक स्पष्ट, रंगहीन कार्बनिक तरल है, जो अल्कोहल आधारित होता है।
इसका निर्माण स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन (किण्वन) से किया जाता है।
पेट्रोल की ज्वलनशीलता बढ़ाने के लिए उसमें इथेनॉल डाला जाता है।
आमतौर पर गन्ना, मक्का और शर्करा वाले मोटे अनाज का उपयोग इथेनॉल निर्माण में होता है।
इसे जैव ईंधन भी कहा जाता है।
बायोइथेनॉल
बायोमास (मक्का, गन्ना, चीनी आधारित फीडस्टॉक्स व अन्य पौधे) से उत्पादित इथेनाॅल को बायोइथेनाॅल भी कहा जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
5 जून, 2021 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत में इथेनाॅल सम्मिश्रण के रोडमैप पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की थी।
रोडमैप के अंतर्गत वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत इथेनाॅल सम्मिश्रण के लक्ष्य को आगे बढ़ाना शामिल है।
इसमें इथेनाॅल के उत्पादन के लिए मक्का जैसे पानी बचाने वाली फसलों के उपयोग को प्रोत्साहित करने की बात कही गई है।
इसमें गैर-खाद्य फीडस्टॉक से इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने वाले प्रौद्योगिकी के प्रयोग की भी बात की गई हैं।
इथेनाॅल उत्पादन से प्राप्त लाभ
बिहार की इथेनाॅल उत्पादन संवर्धन नीति, 2021
नई स्टैण्ड अलोन (एकल) इथेनाॅल निर्माण संयंत्र और मशीनरी की लागत पर 15 प्रतिशत पर अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक अतिरिक्त पूंजी सहायता (सब्सिडी) प्रदान की जाएगी।
नीति के तहत, पिछड़े व सीमांत समुदाय जैसे विशेष वर्ग के निवेशकों के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाएगी।
नीति के तहत, संयंत्र स्थापना के लिए समयबद्ध तरीके से लाइसेंस और मंजूरी जारी करने पर विशेष प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गई है।